
बहुत से लोगों का कहना है कि यौन-संबंध ज़िन्दगी की ज़रूरत है। लेकिन, विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा नहीं है और अगर आपको लगता है कि सेक्स के बिना रहना मुश्किल है, तो हमारा यह लेख ज़रूर पढ़ें। बहुत से विशेषज्ञ कहते हैं कि वैवाहिक जीवन में सेक्स का होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि इसकी अनुपस्थिति दांपत्य जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। ऐसा कहना कहाँ तक सही है, इस लेख के माध्यम से हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। ऐसी परिस्थिति में दो सवाल यह उठते हैं –
- सेक्स का उद्देश्य क्या है?
- क्या सेक्स के बिना रहा जा सकता है या नहीं?
इन सवालों के जवाब जानने से पहले हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि असल में सेक्स है क्या और इसे करने का प्रमुख उद्देश्य क्या होना चाहिए? सेक्स को दो अलग-अलग नज़रियों से देखा जाता है। एक वह, जो हम शादी से पहले या शादी के बाद, सिर्फ चंद पलों के सुख के लिए करते हैं। दूसरा वह, जो हम अपने साथी के साथ जायज़ आत्मीयता पाने के लिए करते हैं।
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यहाँ पर ध्यान देने वाली चीज़ – आत्मीयता है। आत्मीयता और सेक्स में गहरा संबंध है। वास्तव में, आत्मीयता के पीछे छुपा हुआ उद्देश्य ही सेक्स को जायज़ या नाजायज बनता है। अन्य शब्दों में कहा जाए, तो जीवनसाथी के साथ किए जाना वाला सेक्स भी गलत माना जा सकता है, अगर सही उद्देश्य से न किया जाए।
सेक्स का उद्देश्य क्या है
सेक्स का उद्देश्य समझने से पहले आपको खुद से एक सवाल पूछना चाहिए कि क्या सेक्स के जरिए आप अपनी किसी ज़रूरत को पूरा कर रहें हैं या कुछ पलों की शारीरिक प्यास के लिए सेक्स कर रहें हैं?
मैं इस परिभाषा को थोड़ा और सरल कर देता हूँ। मान लीजिए आप बिस्कुट खा रहें हैं। ऐसे में खुद से पूछिए कि बिस्कुट खाने की वजह आपकी भूख है या या सिर्फ स्वाद के लिए खा रहें हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक सेक्स का सही उद्देश्य संतान प्राप्ति और जायज़ आत्मीयता प्राप्त करना है। अगर सेक्स में से जायज़ आत्मीयता को निकाल दिया जाए, तो सेक्स हवस बन के रह जाएगा। इन दो उद्देश्यों की अनुपस्थिति में सेक्स कुछ पलों के लिए उत्तेजित हुई शारीरिक प्यास को शांत करने के लिए की गई एक क्रिया से ज़्यादा कुछ नहीं रह जाता। यह बिलकुल स्वाद के लिए बिस्कुट खाने जैसा है।
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लेकिन, वर्तमान युग में मीडिया ने सेक्स को एक अलग ही रूप दे दिया है। सेक्स संबंधी गलत धारणाओं को मीडिया द्वारा हमारे दिमाग में भरने की कोशिशें पुरे ज़ोर पर हैं। कई दांपत्य जोड़े अक्सर यह बताते हैं कि उनका वैवाहिक जीवन सेक्स की वजह से ख़राब हो रहा है। कुछ लोग तो यहाँ तक भी कहते हैं कि उन्हें अपने जीवनसाथी के सेक्स करने में आनंद नहीं आता। ऐसी बातें वास्तव में हैरान करने वाली होती हैं।
क्या सेक्स के बिना रहा जा सकता है या नहीं?
यह सच है कि सेक्स के बिना नहीं रहा जा सकता है, लेकिन नाजायज़ सेक्स के बिना रहना बिलकुल भी मुश्किल नहीं है।
इस तर्क को समझाने के लिए, मैं फिर से बिस्कुट वाला उदाहरण देना चाहूंगा।
मान लीजिए कि आप भूखे हैं और आपको लगता है कि आप रात्रि भोजन तक भूख पर नियंत्रण रख सकते हैं। लेकिन फिर भी, आप जान-बुझ कर खुद पर नियंत्रण न रख कर, बिस्कुट अर्थात बाहरी भोजन खा लेते हैं। अब जरा सोचिए कि ऐसा करने से क्या आप भूख को स्थाई रूप से शांत कर पाए या कुछ समय के लिए ही? सबसे ज़रूरी सवाल, क्या बिस्कुट खाने से आपको रात्रि भोजन जितनी ही पौष्टिकता मिल पाई?
वास्तव में, बिस्कुट के सेवन ने न सिर्फ आपके कुछ पौष्टिक खाने की संभावना को कम किया, बल्कि आपके शरीर को भी एक किस्म से नुकसान ही किया।
आसान शब्दों में कहां जाए, तो बिस्कुट खाने से आपकी भूख शांत नहीं हुई, बल्कि कुछ समय के लिए दब गई अर्थात बिस्कुट खाने का आपका मुख्य उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। आपने वह सिर्फ स्वाद के लिए खाया। मेरे हिसाब से, हर इंसान में इतना तो सब्र होना ही चाहिए कि वह अपने मुहं के स्वाद को मुख्य न रखकर, सेहत को मुख्य रखे।
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बिलकुल इसी तरह से सेक्स है।
जैसे बाहरी भोजन आपके स्वस्थ को हानि करता है, उसकी प्रकार बिना जायज़ उद्देश्य के बनाए गए शारीरिक संबंध भी आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाते हैं।
क्या इस विषय में आपका कोई प्रश्न हैं ? हमारे विशेषज्ञ से ज़रूर पूंछे।
दांपत्य जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए आपको सेक्स की नहीं, बल्कि सेक्स की ज़रूरत और इच्छा में फर्क समझने की ज़रूरत है। जब आप इन दोनों में फर्क करना सीख जाएंगे, तो जायज़ और नाजायज़ आत्मीयता में भी फर्क समझ जाएंगे।