
कभी-कभी ज़िन्दगी बहुत बेरहम हो जाती है और काँटों की सेज़ लगने लगती है। अगर आपने भी कभी दिल पर चोट खाई है, तो आप जान ही गए होंगे कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ। जी हाँ, मैं अस्वीकृति की बात कर रहा हूँ, जिसे बर्दाश्त कर पाना कई बार बहुत कठिन हो जाता है, विशेषकर जब यह प्रेम-मामलों से जुड़ी हुई हो।
अस्वीकृति से कैसे निपटा जाए, इस विषय में बहुत से लोग अक्सर मुझसे अलग-अलग तरीके से सवाल पूछते हैं जैसे कि शादी के प्रस्ताव पर अस्वीकृति, दोस्ती के प्रस्ताव पर अस्वीकृति, नौकरी के चयन पर अस्वीकृति, व्यापर में किसी बड़े काम के लिए भेजे गए टेंडर की अस्वीकृति इत्यादि। अस्वीकृति से निपटना और ज़िन्दगी में आगे बढ़ना कितना आसान हो सकता है, आज मैं इस विषय पर बात करना चाहूंगा।
सबसे पहले हमें यह समझना होता है कि अस्वीकृति कैसी भी हो, हम इस पर किसी किस्म का कोई नियत्रण नहीं रख सकते और अस्वीकृति का सामना किसी भी इंसान को कभी भी करना पड़ सकता है। फिर चाहे यह अस्वीकृति रिश्तों में हो या करियर में। इसमें भी कोई शक नहीं है कि अस्वीकृति के चलते बहुत से लोग पूरी तरह से टूट जाते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं या फिर कोई न कोई अपराध कर बैठते हैं। महिलाओं पर तेज़ाब फेंके जाने की घटनाएं या प्रेम प्रस्ताव की अस्वीकृति के बाद आत्महत्या की घटनाएं, कोई नई बात नहीं है और इस बात का जीता-जागता सबुत है कि कुछ लोगों के लिए अस्वीकृति से निपटना और ज़िन्दगी में आगे बढ़ना बहुत मुश्किल होता है।
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1अस्वीकृति से निपटना इतना मुश्किल क्यों होता है
आइए पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि अस्वीकृति से निपटना इतना मुश्किल क्यों होता है। वास्तव में, अस्वीकृति आपके दिमाग पर हावी हो जाती है अर्थात जब भी आप खाली बैठे होते हैं या आपके पास सोचने का समय होता है, उस वक़्त आप खुद-ब-खुद उस शख्स की या अस्वीकृति के पलों की याद में खो जातें हैं। इतना ही नहीं, कई लोगों का तो यहाँ तक भी कहना है कि जब वह खुश होते हैं, तो भी उनकों अपने पुराने दिनों या साथी की याद सताने लगती है। यह वास्तव में बहुत खतरनाक है।
2विशेषज्ञों का क्या कहना है
इस विषय में मैंने बहुत से लेख पढ़े हैं, जिनमे से अधिकतर लेखों में लेखकों एवं मनोविज्ञानियों का कहना है कि अस्वीकृति से निपटने के लिए दिमाग को खाली नहीं रहने देना चाहिए। आसान शब्दों में कहा जाए, तो अगर आपके पास खाली समय होगा, तो आपका दिमाग उस अस्वीकृति के बारे में सोचेगा। कुछ लोगों का कहना है कि ध्यान को दूसरी चीज़ों में लगाने से राहत मिलती है जैसे कि एक प्रेम-प्रस्ताव के ठुकराए जाने पर, किसी अन्य से प्रेम-सम्बन्ध या शारीरिक संबंध बनाना, दोस्तों के साथ घूमने जाना, परिवार के साथ पिकनिक पर जाना, छुट्टियों के लिए बाहर जाना इत्यादि।
मेरे हिसाब से यह सब आपको अस्वीकृति की पीड़ा से कुछ पल के लिए आराम दे सकते हैं। लेकिन, यह पुख्ता इलाज नहीं है। इन सब उपायों को करने के बाद भी आपका अस्वीकृति से निपटना और ज़िन्दगी में आगे बढ़ना निश्चित नहीं होता। आसान शब्दों में कहूँ, तो यह सब ध्यान भटकाने की प्रक्रियाएं हैं और ऐसे समय में आपको ध्यान भटकाने की नहीं, बल्कि ध्यान को सही जगह लगाने की जरूरत होती है।
3ध्यान भटकना और ध्यान को सही जगह लगाना
मैंने भी इस पीड़ा को सहा है और यकीन मानिए, शुरुआत में मैंने भी ध्यान भटकाने की पुरज़ोर कोशिश की थी। फिर मेरे मनोविज्ञानी ने मुझे सलाह दी कि मुझे अपने दिमाग को विकास के कामों में लगाना चाहिए अर्थात खुद को एक लक्ष्य की ओर केन्द्रित करना चाहिए। बेकार के कामों में दिमाग को भटका कर कुछ पल के लिए तो राहत मिल सकती है, लेकिन अस्वीकृति की पीड़ा से निपटने के लिए यह एक सही इलाज़ नहीं है।
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4खुद को एक लक्ष्य दें और आपको ठुकराने वाले के लिए एक मिसाल बनें
इसलिए मैं आपसे कहना चाहूंगा कि अगर आप भी अस्वीकृति से निपटना और ज़िन्दगी में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो खुद को एक लक्ष्य दें और अपने ध्यान को उस लक्ष्य पर केंद्रित करें। हमें यह समझना होगा कि अस्वीकृति के कारण भी हम खुद ही होते हैं अर्थात कोई हमें हमारी कमियों की वजह से ही अस्वीकृत करता है। ऐसे में वह लक्ष्य हमारी वही कमी भी हो सकता है।