
क्या आप जानते हैं कि चाहे करियर हो या निजी ज़िन्दगी, आप किस मुकाम तक पहुंचगे, इस बात का निर्णय आपके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले (मौखिक और लिखित) शब्दों से ही लग जाता है। सुनने में बात थोड़ी अटपटी लगती है, पर यह 100% सच है। गलत समय पर कही गई गलत बात, फिर चाहे वह मौखिक हो या लिखित, आपकी तरक्की के कई अवसरों का सत्यानास कर सकते हैं। आपके द्वारा चुने गए शब्द, सामने वाले को यह बता देते हैं कि आप कितने पानी में हैं और आप पर भरोसा करके उन्हें क्या मिलने वाला है? अगर आप चाहते है कि लोग आपको ज़िम्मेदार समझे, तो आपको कुछ शब्दों का प्रयोग बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। इस लेख में मैं आपको बताऊंगा ऐसी 5 संचार गलतियाँ जो किसी भी सन्देश को निरर्थक बना देती हैं।
1हो सकता है, शायद ऐसा हो, ऐसा होना चाहिए
यह शब्द हम आमतौर पर इस्तेमाल करते हैं और अक्सर भूल जाते हैं कि इनकी वजह से लोग हम पर भरोसा नहीं करते। यह व्याकरण की ऐसी क्रियाएं हैं, जो किसी भी सन्देश को निरर्थक बना देती हैं। वास्तव में, इन शब्दों का उपयोग हम तभी करते हैं, जब हम किसी चीज को लेकर अनिश्चित होते हैं। आसान भाषा में कहा जाए, तो यह शब्द आपकी बात को खोखला और भोरसा न करने योग्य बना देते हैं। इन शब्दों के इस्तेमाल से आप कोई भी दावा करें, उसे संदेह की नजर से ही देखा जाएगा।
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2ठीक है
आमतौर पर, हम जब किसी बात से असहमत होते हैं, लेकिन हमें मज़बूरी में स्वीकृत देनी पड़ती है, तो हम “OK” शब्द का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा, जब हम किसी विचार-विवाद में नहीं पड़ना चाहते या किसी की बात को सुनकर अनसुना करना चाहते हैं, तो हम जल्दबाजी में, “ठीक है” कहकर उस बातचीत पर विराम लगाने की कोशिश करते हैं।
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसा करने पर सामने वाले के दिमाग में आपकी क्या छवि बनती है? आपके जल्दबाजी में “ठीक है” कहने पर वह यह मान लिया जाता है कि आप या तो बात को नजरअंदाज कर रहे हैं, या आपको बोलने वाले में ही कोई दिलचस्पी नहीं है। इसलिए, “ठीक है” शब्द का प्रयोग करते समय खास ध्यान रखें।
3सुपर
मजाक के वक़्त इस शब्द का उपयोग अच्छा लगता है। लेकिन अगर आप इसका उपयोग उस समय करते हैं, जब आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही हो या आप किसी को कुछ बहुत जरूरी बात समझा रहे हैं, तो आपका ऐसा करना आपको “गैर-जिम्मेदार” दिखा सकता है। सामने वाले को लगता है कि आप जरूरत से ज्यादा ही विश्वास दिखा रहें हैं।
इसलिए “सुपर शब्द का उपयोग बहुत ही सावधानी से करें और जहां तक संभव हो, काम के समय इस शब्द का प्रयोग का न करें।
4वैसे ही बात कर रहा हूँ
अगर आप हर बात में यह कहते हैं कि, “मेरी बात को गंभीर मत लेना, मैं तो वैसे ही बात कर रहा हूँ,” तो आप पूरी तरह से गलत हैं। यह शब्द किसी भी वाक्य की परिपक्वता और तकनीकी चरित्र को नष्ट कर सकते हैं और आपको एक गैर-जिम्मेदार एवं बेहद अपरिपक्व इंसान के रूप में पेश कर देते हैं। ऐसा कहने पर, सुनने वाला व्यक्ति आपकी बात को गंभीरता से नहीं लेता।
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5क्षमा
हम “सॉरी” शब्द का उपयोग अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग कारणों से करते हैं। लेकिन, क्षमा मांगने का एक मात्र कारण होता है कि हम शर्मिंदा हैं। कामकाज के दौरान कई बार ऐसा होता है, जब कोई हमें जरूरी निर्देश दे रहा होता है और हम उसकी बात को सुनकर भी अनसुना कर देते हैं। बाद में, उस आधी-अधूरी सुनी हुई बात का महत्व समझ आने पर, हम उसे वही बात दोहराने को बोलते हैं। लेकिन, इस बार हमें क्षमा याचना करनी पड़ती है। ऐसे में, जाहिर है कि सामने वाले पर आपका गलत प्रभाव ही पड़ेगा। माफी मांगने का सबसे बड़ा निष्कर्ष यही निकाला जाता है कि आपने कोई गलती कर दी है और अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
क्या इस विषय में आपका कोई प्रश्न हैं ? हमारे विशेषज्ञ से ज़रूर पूंछे।
माफी मांगना अच्छी बात है, लेकिन बार-बार माफी मांगने से आप अपनी जगह बनाने की बजाय, खुद को सामने वाले की नज़र में गिरा बैठते हैं।